31-01-14  ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन

“अचानक के पहले अलर्ट रह स्वयं को पावरफुल बनाओ, खुशमिजाज रह संतुष्टता का वायुमण्डल बनाओ साथ-साथ हर एरिया में सन्देश देने का कार्य पूरा करो, अब कोई का भी उल्हना रह न जाये”

आज की सभा स्नेही और स्मृति स्वरूप के स्थिति में स्थित दिखाई दे रही है। हर एक के मन में विश्व कल्याण का उमंग उत्साह समाया हुआ है। चाहे सम्मुख हैं चाहे दूर हैं लेकिन सारा ब्राह्मण परिवार दिल के स्नेह में समाया हुआ है। यह स्नेह, परमात्मा और आत्मा के मिलन का स्नेह अति न्यारा और अति प्यारा है। आज बापदादा चारों ओर बच्चों को समर्थ रूप में देख रहे हैं। जहाँ समर्थ है वहाँ व्यर्थ स्वत: ही समाप्त हो जाता है। समर्थ बाप और समर्थ बच्चे, यह समर्थ आत्मा और परमात्मा का मिलन अति प्यारा और न्यारा है और यह मिलन सिर्फ संगम पर ही मिलता है। परमात्मा और आत्माओं का यह साकार मिलन कोटों में कोई आत्माओं को अनुभव होता है। यह परमात्मा और आत्माओं का मिलन कल्प में अब संगम पर ही होता है और वह सौभाग्यशाली क्या पदम भाग्यशाली आत्मायें आप सम्मुख मिलन मना रहे हैं। सबके दिल में इस समय यही मिलन का भाग्य प्राप्त होता है। सबके मन में मेरा बाबा, मेरापन है।

बापदादा अभी इस समय यही चाहते हैं कि और भी आत्माओं को यह अनुभव कराओ “मेरा बाबा” और वर्से का अधिकारी बनाओ। आज संसार में दुःख अशान्ति या अल्पकाल का सुख फैला हुआ है। उन आत्माओं को सदा के सुख शान्ति का थोड़ा सा भी अनुभव जरूर कराओ क्योंकि इस समय ही अनुभव करा सकते हो। इस समय को वरदान है आत्माओं को परमात्मा से मिलाने का। सारे कल्प में आत्मा परमात्मा का मिलन, परिचय, सम्बन्ध, वर्सा इस समय ही प्राप्त होता है। तो अब हर एक बच्चे को, जो अधिकारी हैं उन्हों को सदा उन आत्माओं के ऊपर तरस आना चाहिए कि कोई भी आत्मायें चाहे देश, चाहे विदेशी वंचित रह नहीं जाये। आपका विशेष कार्य यही है कि किसी भी प्रकार से कोई एरिया ऐसी नहीं रह जाये जो उल्हना दे हमें परिचय ही नहीं मिला। सर्विस तो चारों ओर कर रहे हो लेकिन कोई भी आसपास की एरिया रह नहीं जाये, उल्हना नहीं मिले, हमारा बाबा आया और हमको पता नहीं पड़ा। यह जिम्मेवारी आप निमित्त बने हुए बच्चों की है। जहाँ तक हो सकता वहाँ सन्देश जरूर दे दो। नोट करो। कौन सी एरिया रही हुई है! जो उल्हना रह नहीं जाये कि हमें तो पता नहीं पड़ा। पता देना आपका कर्तव्य है, जाने नहीं जाने, वह जानें। तो हर एक अपनी एरिया के आसपास चेक करो कोई भी एरिया सन्देश के बिना रह नहीं जाए। भाग्य हर एक का खुद है लेकिन सन्देश देना आप भाग्यवान आत्माओं का कर्तव्य है। हर एक को अपनी एरिया या आसपास की एरिया को चेक करना चाहिए कि हमारी एरिया का वह उल्हना रह नहीं जाये कि हमें तो पता ही नहीं पड़ा। चाहे छोटा गांव है, चाहे बड़ा गांव है, शहर है, सन्देश देना आप भाग्यवान आत्माओं का काम है, यह चेक करो हमारे आसपास की एरिया में सन्देश पहुँचा है? किसी भी एरिया का उल्हना नहीं रह जाए क्योंकि मैजारिटी मुख्य शहरों में पहुँच तो गये हो लेकिन फिर भी चेक कर लो कोई भी एरिया रह नहीं जाये जो आपको उल्हना देवे हमारा बाप आया और हमें पता नहीं दिया। चेक तो करते हो, बापदादा देखते हैं फिर भी अपनी-अपनी एरिया जहाँ तक पहुँच सकते हो और कोई नहीं पहुंचा है वहाँ सन्देश देना आपका कर्तव्य है। चाहे छोटी एरिया है लेकिन आपके एरिया के नजदीक है तो आप नोट करो, छोटी-छोटी एरिया वाले भी आपको उल्हना दे सकते हैं, हमारा बाप आया हमको मालूम पड़ा, हमारा बाप है क्योंकि सबका बाप है ना, तो आपने क्यों नहीं बताया! इसलिए चेक करो अपनी एरिया के चारों ओर सन्देश पहुंचा है? फिर आपकी जिम्मेवारी पूरी हुई। ऐसे नहीं हो कि छोटी एरिया है, लेकिन उस एरिया के हैं तो बच्चे ना! किसी को भी भेज के कम से कम पता तो पड़े कि हम सबका बाप आया है। चाहे किसी भी प्रोग्राम से अपनी एरिया को सारा पूरा करो, अगर छोटी एरिया तो कोई छोटे को भेजो लेकिन वंचित नहीं रह जाए क्योंकि समय अचानक आना है, बताके नहीं आयेगा। अपना चारों ओर सन्देश देने का कर्तव्य अवश्य देखो। मानो आपकी एरिया में कोई सेवा नहीं है, एरिया में तो जो साथी एरिया वाले हैं उनको बताके उन्हों को निमित्त बनाओ, कोई आत्मा रह नहीं जाये। सन्देश मिलना चाहिए, बाकी उन्हों का भाग्य। तो हर एक अपनी एरिया को चेक करना, चाहे छोटी ही गली है, साधारण लोग हैं, लेकिन बच्चा तो है ना, बाप आया है यह पता तो होना चाहिए। चाहे किसी भी रीति से करो, उल्हना नहीं रह जाए कि हमें तो पता ही नहीं पड़ा। यह आप लोगों का फर्ज है क्योंकि कोई भी हालत अचानक किसी समय भी आ सकती है। अपना फर्ज पूरा करो। चाहे किसी को भी भेजो लेकिन उल्हना नहीं रह जाए हमको तो पता ही नहीं पड़ा। किस एरिया के तो नजदीक होगा ना क्योंकि अचानक कुछ भी खिटखिट शुरू हो सकती है। अपना फर्ज आसपास का एरिया देख चेक करो कोई रही हुई तो नहीं है! अगर दूसरे की एरिया है तो उससे राय करो, ऐसे बिना राय के नहीं करो, राय करो और पूरा करो क्योंकि अचानक कुछ भी हो सकता है इसलिए आज बापदादा चाहे देश, चाहे विदेश सभी बच्चों को इशारा दे रहे हैं कि अपनी एरिया को चेक करो, राय करके बड़ों से उस द्वारा कराओ लेकिन रह नहीं जाये। मीटिंग करते हो ना, उसमें एक दो से राय कर सकते हैं। बापदादा यही कहते हैं कि समय अचानक आना है इसलिए कर लेंगे, हो जायेगा, यह कोई कोई का संस्कार होता है, तो रह नहीं जाये। यह बापदादा सभी को इशारा दे रहे हैं। अपनी एरिया को चेक करो। अगर दूसरा कोई करने चाहे तो उससे भी कराओ क्योंकि समय पर कोई भरोसा नहीं, छोटी- छोटी बातें तो अचानक हो ही जाती हैं। आप अपनी एरिया को देख लो, आसपास जितनी भी आपकी एरिया बनती है वहाँ सन्देश रहा हुआ तो नहीं है! उल्हना तो नहीं मिलेगा!

बाकी आप सभी बाप के सिकीलधे बच्चे जो बाप के बन गये, वह कितने सिकीलधे हैं। बापदादा भी सिकीलधे बच्चों को देख खुश होते हैं, वाह बच्चे वाह! पुरुषार्थ में थकना नहीं, कोई भी छोटी-मोटी बात आती है, मदद लो। नहीं तो किससे मदद नहीं लेनी है तो योगबल से चेक करके उसका कोई न कोई सहयोग ढूंढो।

हर एक चेक करना कि मेरी एरिया में से कोई रह तो नहीं गया कि हमको सन्देश ही नहीं मिला। आप सोंचेंगे बापदादा आज ऐसे क्यों कह रहे हैं? क्योंकि बापदादा ने देखा है कि कई बच्चों की नजदीक की एरिया जिनकी जिम्मेवारी है लेकिन वह पूरी नहीं कर रहे हैं इसलिए बापदादा इशारा दे रहे हैं कि कोई की भी एरिया रह गई हो, कारणे अकारणे तो उसका हल ढूँढो सन्देश जरूर दो। आज बापदादा इशारा दे रहा है कोई उल्हना नहीं रह जाए क्यों आप देखेंगें, उन्हों की एरिया को चेक करेंगे, उन्हों को पुरुषार्थ में चलायेंगे, उसमें भी टाइम चाहिए। तो अभी अपनी अपनी एरिया को चेक करना। कोई एरिया उल्हना नहीं दे कि हमको पता नहीं पड़ा। अगर सर्विस करने वालों की मदद चाहिए तो अपने जोन को बोलो, वह मदद करे। तो आज बापदादा सेवा का इशारा दे रहा है, सेवा के साथ और क्या इशारा है? स्वयं को सम्पन्न बनाने का। ऐसे नहीं कि सेवा में इतने बिजी हो जाओ तो स्वयं को देखने का समय नहीं मिले। स्वयं को भी देखो और समय को भी देखो। बाकी सभी खुशमिजाज रहते हो, अगर खुशमिजाज नहीं रहते तो जिसमें फेथ हो, भावना हो उससे सहयोग लो क्योंकि बापदादा जानते हैं कि छोटी-छोटी बातें किस समय भी आ सकती हैं इसलिए अपने को अलर्ट रखना, अपना फर्ज है। कोई कितना भी कहे लेकिन स्वयं, स्वयं को अलर्ट करना है।

तो आज बापदादा सेवा और स्वयं दोनों को एवररेडी करने के लिए इशारा दे रहे हैं। सन्तुष्टता का वायुमण्डल हर स्थान पर होना चाहिए। अगर असन्तुष्टता है तो किसी भी सहयोग से, क्योंकि होना है छोटा छोटा हो या बड़ा हो लेकिन उसके लिए स्वयं को पावरफुल जरूर बनना है। आज बापदादा इसी पर इशारा दे रहे हैं कि अचानक के लिए तैयार रहो। फिर ऐसे नहीं कहना यह तो पता ही नहीं था, होना है, होगा अचानक। आप सबके मन से हल्का हो जायेगा तभी होगा इसलिए बापदादा इशारा दे रहे है कि अपने आपको चेक करो। बाप समान जो बाप चाहता है, जानने में तो सब होशियार हैं, तो जो बाप चाहता है मन्सा-वाचा-कर्मणा, सम्बन्ध-सम्पर्क इन सब बातो में ऐसी अवस्था है, जो कुछ भी अचानक हो तो सामना कर सकेंगे? इंटरनल पावर आत्मा सदा अटेन्सन में रहे, सदा तीव्र पुरुषार्थी रहे। स्व परिवर्तन और चारों ओर भी परिवर्तन में सहयोगी बनने में, दोनों बात में चेक करना।

बाकी सभी ओ.के. है, हाथ उठाओ। ओ.के., ओ.के., ओ.के., है? अच्छा बापदादा आगे का हाथ तो देख रहे हैं, पीछे का दिखाई नहीं देता। अभी पीछे वाले उठाओ। अच्छा - सभी को बहुत-बहुत बापदादा का सिक व प्रेम सहित यादप्यार स्वीकार हो। ऐसे कोई नहीं सोचे कि हमको तो बाबा का प्यार पता ही नहीं, ऐसा है कोई। कोई है? नहीं है ना! पता तो है ना! परमात्म प्यार क्या होता है। है पता? अच्छा पता वाले हाथ उठाओ। सभी उठा रहे हैं और लम्बा उठाओ। नीचे करो। देखो, बापदादा ने देखा हाथ तो मैजारिटी उठा रहे हैं, कोई बीच में रह गया हो वैसे मैजारिटी ने उठाया है। अगर कोई अन्दर में समझे, हाथ उठाने में शर्म आवे तो भी अगर कोई विध्न है या कोई हलचल है तो अपने दादियों को या जिसमें भी आपका फेथ हो, बड़ी दादी या दादियों में उनको सुना देना, रखना नहीं अन्दर कोई न कोई इलाज ले लेना क्योंकि होना है, तो अचानक होगा। उस समय पुरुषार्थ कर नहीं सकेंगे। अभी चेक करो, कुछ भी अचानक हो जाए, हलचल हो जाए तो इतनी शक्ति है जो स्वयं को बचाये, वायुमंडल में यह प्रभाव डालें, औरों के भी मददगार बनें। यह चेक करना। समझा ना सभी ने। समझा। समझदार तो बहुत हो। नहीं, बापदादा को अच्छा लगता है। ऐसे ही नहीं कहते हैं। समझदार तो हो लेकिन कभी-कभी समय पर थोड़ा टाइम लगाते हैं। 

अच्छा। चारों ओर के बच्चों को दूर वालों को भी और नजदीक वालों को भी बहुत-बहुत मुबारक है जो अपने ऊपर अटेन्शन दे रहे हो। धोखा नहीं खाना, अटेन्शन दो, दे रहे हो और देते रहना। कोई भी मदद चाहिए तो निमित्त बने हुए द्वारा ले सकते हो। ऐसे नहीं कोई कहे किससे लेवें, निमित्त का पता है, दादियां है ना! दादें है दादियां भी है। कोई भी गलती रखना नहीं, अगर हो भी गई तो बापदादा से दिल में पश्चाताप करके उसको खत्म करना। जमा नहीं करो। बापदादा हर एक का खाता देखे तो कैसे खाता हो? ओ.के., वेरी गुड। ऐसे है? अच्छा, इसमें हाथ उठाओ। हाथ तो सब उठा रहे हैं। देखो, आप दादी आओ, हाथ देखो। हाथ उठाओ, सब ठीक हैं? सब ठीक हैं, हॉ। आओ दादी, दादी को ले आओ। आज मोहिनी नहीं आई है क्या? अच्छा आ गई।

सेवा का टर्न पंजाब जोन का है, 8000 आये हैं:- पंजाब वालों को वरदान है। पहले-पहले अमृतसर में सेंटर खुला था तो गुरुओं का बहुत था, लेकिन पंजाब वालों ने सबके ऊपर जीत पाई और अपने सेन्टर निर्विध्न चलाने दिये, इसके लिए पंजाब वालों को बापदादा भी धन्यवाद दे रहे हैं। गुरुओं के स्थान पर सदगुरु की जीत करके दिखाई। अच्छा किया। गुरुओं की गद्दियों के बीच में ब्रह्माकुमारियों का सेंटर अमर रहा और निर्विघ्न चलता था। निर्विघ्न चला ना, पंजाबवाली टीचर्स हाथ उठाओ। अच्छा। मेहनत अच्छी की है और अभी भी पंजाब का टर्न है

मोहिनी बहन से:- ठीक है ना! (बाबा आपके वरदान से मैं ठीक हूँ) मुबारक है। ठीक है और ठीक रहेगी। भले कुछ भी हो, बाबा मेरा बाबा, यह दवाई है। अच्छी रहेंगी। कोई बात नहीं। यह बीच-बीच में होता है। अच्छा।

मुन्नी बहन से:- बहुत अच्छी मेहनत कर रही हो, उसकी सफलता है और ऐसे ही जैसे चलती हो वैसे अच्छे ते अच्छा चला रही हो, चलाती रहेगी। जो भी कोई यहाँ वहाँ से इशारा आवे वह कर लिया, बस। और अच्छा चल रहा है। 

डबल विदेशी भाई बहिनों से:- अच्छा। यह सब डबल विदेशी है। (200 आये हैं) डबल विदेशी आजकल देखा है हर ग्रुप में कुछ न कुछ होते हैं। अच्छा, अपना पार्ट बजा रहे हैं। विदेश की सेवा भी अच्छी कर रहे हैं लेकिन जितनी सेवा करते हैं ना उतना समाचार कम देते हैं। कोई ऐसा मुकरर हो जो मास दो मास के बाद सब तरफ की रिजल्ट लिखके भेजे। अच्छी सेवा में वृद्धि है, पुरुषार्थ भी अच्छा कर रहे हो। (कराची से एक भाई आया है) अच्छा है, कराची जन्म स्थान है ना। ऐसे स्थान की सौगात आवे तो कितने महान हैं। अच्छा बापदादा को समाचार मिलता है, अच्छा चल रहा है। जो भी आते हैं, इसमें कराची वाले कोई और है? एक ही है। बहुत अच्छा, अच्छा लगा ना! विदेशियों को देख बापदादा को अपना वर्ल्ड कल्याणकारी टाइटिल याद आता है क्योंकि पहले था इन्डिया अभी विदेश भी हो गया, तो इसीलिए बापदादा विदेश सेवा को सदा याद रखता है। पहले सिर्फ इन्डिया कल्याणकारी था अब विदेश चारों ओर फैला हुआ है, कोई एरिया अभी भी रही हुई है वह भी एड हो जायेगी लेकिन विदेश एड हो गया है। अच्छी मेहनत की है। रिजल्ट विदेश की भी अच्छी है। अच्छा। 

निर्वैर भाई से:- तबियत ठीक है, ठीक हो रहे हैं। हॉस्पिटल की चिंता नहीं करो। सभी से राय करके मीटिंग में फाइनल करना। सिर्फ यह सोचो कि एक हॉस्पिटल आबू के कारण खाली पड़ी है तो इतना पड़ा प्रोग्राम करेंगे तो आबू में कौन आयेंगे? हॉस्पिटल के बारे में सबकी राय पहले लो। राय लेना चाहिए कि यहाँ आबू में दूसरी हॉस्पिटल खोलें? (उसी हॉस्पिटल के साथ एडीशन करेंगे) लेकिन दूसरी होगी ना। वह प्लैन बनाना फिर देखेंगे। प्लैन दिखाना।

बृजमोहन भाई से:- (गीता के भगवान के बारे में) उसके लिए टॉपिक थोड़ी चेंज करो। (अहिंसा की टापिक आपने बताई थी वही चालू रखें?) थोडा चेंज करो। अहिंसा परमोधर्म नयी बात तो थी लेकिन आकर्षण वाली थोड़ी प्वाइंट निकालो, थोडा चेंज करो, सोचो थोड़ा। सभी सोचे जिसमें टापिक पर ही आकर्षण हो जाए, अभी यह सोचते हैं हमारा क्या जाता, क्या भी हो। लेकिन समझे हमारा भी फायदा है। ऐसे सोचो। 

पंजाब की बड़ी बहिनें:- पंजाब तो मशहूर है। पंजाब से कुमारियां अच्छी निकली हैं। भाई भी अच्छे निकले हैं। जिससे टोटल पंजाब अच्छा चल रहा है। एक दो को सहयोग देके अच्छा उन्नति को पा रहे हैं। अभी और उन्नति करो, आवाज निकालो। आवाज नहीं निकला है। (हरिद्वार में संत सम्मेलन करें) कुछ हलचल कराओ। शान्ति से सुन रहे हैं, कुछ उसका कुछ उसका मिक्स होता है लेकिन ओरिजनल क्या है, उसको थोड़ा प्रसिद्ध करो। फिर जो अपने होंगे वह निकलेंगे। क्यों वहाँ के कोई साधू जो बड़े मशहूर हैं, उनमें से कोई निकले, यह सेवा करो। वह कहें ब्रह्माकुमारियों का ज्ञान हमने जीवन में लाया, ऐसे कोई मिसाल निकालो। बैठे तो हैं सभी, चाहे कोई की भी पंजाब में मदद लो, इन्डिया की लो, सबकी ले सकते हैं। यह आवाज निकले कि ब्रह्माकुमारियां कृष्ण के बजाए शिव कहती हैं। यह आवाज निकले। यह पंजाब की सेवा है। तो यह आवाज निकलना चाहिए ना। पंजाब को प्राइज देंगे अगर यह आवाज निकालेंगे। चाहे माने नहीं माने लेकिन यह तो कहें इन्हों का यह मत है। और इस पर सभी का सोच चले। करो कोई कमाल। सभी मिलके राय करो। अच्छा है। शान्ति से चल रहा है ना, सब चुप हो गये हैं।

जालंधर की राज बहन बीमार है आ नहीं सकी है:- उसके लिए टोली ले जाओ।

जयन्ती बहन ने कहा - बाबा दादी जानकी को आपने 8 दिन के लिए लण्डन भेजा, उसके लिए बहुत-बहुत थैंक्स, सब खुश हो गये ना। ठीक है, जो ड्रामा में था वह अच्छा हुआ।

ओम् शान्ति।